“अच्छे रिश्तें यूँ ही घटित नहीं होते बल्कि वो समय, धैर्य और विश्वास की धरती पर पनपते हैं ! ”
इसी उद्धरण पर भरोसा रखते हुए २८ वर्ष तनिषा ने वो कर दिया जो वाकई में बहुत मुश्किल है हम सब के लिए l तनिषा जब मात्र २० वर्ष की थी तो उसके परिवार वालो ने उसकी शादी कर दी l नया घर, नए लोगो को देख कर तनिषा थोड़ा डर सी गयी l उसके पति विनोद भी मात्र दो साल उससे बड़े थें l सही-गलत का उन्हें भी ज्यादा ज्ञान नहीं था l तनिषा आगे की पढाई करना चाहती थी लेकिन इस बात को ना उसके मायके वालो ने समझा , ना ससुराल वाले ने और ना ही उसके जीवन-साथी ने l घर के काम से लेकर बाहर के काम तक हर बात में उसे सास के तानें ही मिलते l उसके ससुर शराब पी कर आते, जब तनिषा उन्हें समझाती तो खुद ही गाली सुनती l सास के ताने और ससुर की गालियों की जैसे उसे आदत सी हो गयी थी l मायके में बताती तो बस एक ही बात सुनने को मिलता -“अब वही तुम्हारा घर है, थोड़ा सहना तो पड़ेगा” l विनोद ने भी उसका ज्यादा साथ नहीं दिया l ना बाहर पति के साथ जाने की अनुमति मिलती और ना ही अपने मन का कुछ करने को l एक कैदी जैसी ज़िन्दगी हो गयी थी तनिषा की l और तो और उसका मोबाइल भी चेक किया जाता l ना जाने किस कारणवश? धीरे-धीरे दिन गुजरता गया l एक उम्मीद उसे अपनी बड़ी नन्द से थी लेकिन वो भी किसी काम की ना निकली l अक्सर तनिषा को खड़ी-खोटी सुनाती और अपने ससुराल में भी लड़ती l ऐसा बुरा दुर्भाग्य था बेचारी तनिषा का l कोई उसका साथ देने वाला नहीं था फिर भी उसने ठान लिया की, एक दिन सबको अपना बना के रहूंगी l तनिषा ने हर बात को नजरअंदाज़ करना सीख लिया l सास-ससुर, पति और रिश्तेदारों की सेवा में उसने कोई कमी नहीं छोड़ी l शादी के दो साल गुजर गए l एक दिन अचानक उसके ससुर की तबियत बहुत ख़राब हो गयी l उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा l लीवर और किडनी ख़राब होने के कारण जान का भी खतरा था l विनोद और उसकी माँ बहुत चिंतित हो गए l आगे क्या करना था कुछ समझ नहीं आ रहा था उन्हें l अपने पापा की स्थिति देख उसे कोई उम्मीद नहीं बची थी l तभी तनिषा ने पूरी हिम्मत के साथ अपने ससुर की सेवा की l डॉक्टर्स से पूंछ कर उन्हें दवाई देना , उनका देखभाल करना सब उसने संभाला था l अपनी तरफ से उसने कोई कसार नहीं छोड़ा ससुर को ठीक करने में l लेकिन कहते है न की ‘ऊपरवाले के आगे किसी का बस नहीं चलता ’ कुछ ऐसा ही हुआ और पूरे २२ दिन अस्पताल में रहने के बाद ससुर जी दुनिया छोड़ चले l डॉक्टर ने तनिषा की सास से कहा- “आपके पति की हालत बहुत ख़राब थी, हमे तो लगा था उनकी ज़िन्दगी सिर्फ एक हफ्ते की ही है l लेकिन आपकी बहु ने उनका पूरा ध्यान रखा, समय से दावा दिया, समय से सारे चेक-अप करवाया इसलिए शायद वो २२ दिनों तक जिन्दा थें l भगवान ऐसी बहु सबको दे l ” ये सुनते ही, वो तनिषा से लिपटकर रोने लगी और खुद को माफ़ करने को कहा l विनोद को भी अपनी गलतीयों का एहसास हो चूका था l वो भी तनिषा से गले लग कर रोने लगा l ससुर के क्रिया-कर्म में भी उसने पूरी मदद की l इस घटना के बाद तनिषा के ससुराल वालो को तनिषा की अहमियत पता चली l ससुर के जाने के बाद उसने अपनी सास का पूरा ध्यान रखा l उसकी सास भी उसे बेटी जैसा प्यार देने लगी l तनिषा की नन्द भी उसे समझ गयी और उसे अपनी छोटी बहन जैसा प्यार करने लगी l अपनी हर परेशानी वो तनिषा से शेयर करने लगी l उसकी नन्द-नंदोई के बीच की खटास को भी तनिषा ने मिठास में बदल दिया l विनोद भी उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया l उसे आगे की पढाई भी करवाया , तनिषा को नौकरी भी मिल गयी l दो साल बाद तनिषा ने बेटे वेदांश को जन्म दिया जो उसकी सास के आँखों का तारा है l तनिषा का परिवार एक खुशहाल जीवन जीने लगा l माना कि तनिषा ने धैर्य रखा, सबकी बातों को नजरअंदाज़ किया और धीरे-धीरे सबके दिल में उतर आई l अब सवाल ये खड़ा होता है यहाँ कि– “अगर तनिषा के ससुर का देहांत नहीं होता तो क्या उसके ससुराल वाले उससे अच्छे से पेश नहीं आते ?”, “क्या बहु का कोई स्थान नहीं होता ससुराल में ?”, “दुसरे घर से आई लड़की के साथ ऐसा व्यवाहर क्यों ?” आज भी हमारे समाज में ऐसे मुद्दे आये दिन सुनने में आते है l पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद l अपने सुझाव मुझे कमेंट के द्वारा जरूर दे l