जब कोई स्त्री व पुरुष शादी के बंधन में बंध जाता है तो उसके बाद दोनों को एक नया परिवार मिलता है जिसे हम सब ससुराल कहते हैं l एक लड़की अपने ससुराल की बहु कहलाती है तो लड़का दामाद l खैर, ये तो मैंने आपको ससुराल की परिभाषा बताई l आइए जानते है ससुराल का असल मायने एक लड़की की कलम से जो बेटी, बहु, पत्नी , बहन, भाभी, हर रिश्तो से पुकारी जाती है-
दुनिया बदल रही है, लोग यहाँ तक की चाँद पर घर बनाने पहुँच गए है लेकिन जब बात विवाह की आती है तो हम लोगों के सारे सिद्धांत, संस्कार सब खोखले से नजर आते हैंl आज लड़कियां हर छेत्र में अपना पर्चम लहरा रही है फिर भी पराए घर से अनजान परिवेश में कदम रख रही लड़की के लिए आत्मनिर्भर और विकसित मानसिकता के बावजूद ऐसी कई बेडिय़ां हैं, जो मन से उसे नए रिश्तों को अपनाने नहीं देतीं। जो मन में ज़िन्दगी भर के लिए गाँठ बन के रह जाता हैl एक बेटी के माँ-बाप उसे पढ़ा-लिखाकर, उसे काबिल बना के दुसरे घर भेजते है, लेकिन क्या वही प्यार, वही दुलार की इच्छा उनकी बेटी अपने नए घर में रख सकती है? बिल्कुल नहीं l ये वही घर है जिसे हम सब ससुराल कहतें हैंl चाहे बहु अपना सारा व्यवसाय छोड़ कर या घर से काम करने के बावजूद ससुराल वालो की सेवा ही क्यों न करे फिर भी उसे वो महत्व कभी नहीं मिल सकता जो एक लड़की को मिलना चाहिए l चलिए मै आपको पढ़ाती हूँ बदलते ज़माने के बदलते ससुराल की परिभाषा-
- ससुराल वो जगह हैं जहाँ लड़की ने एक बार कदम रख दिया फिर तो अगर वो अपने मायके जाने का सोच भी ले तो घर में मन-मुटाव पैदा होने लगता है l भले ही वो अपने मायके साल में सिर्फ पाँच दिनों के लिए ही जाती हो l
- वो ससुराल ही है जहाँ लोग हमेशा बहु की तुलना बेटी से करते हैं l जहाँ लोग बेटी से बहु की बुराई और बहु से बेटी की तारीफों की पूल बांधते हैं l भले ही खुद की बेटी में हज़ारों अवगुण हों l
- अक्सर बहु से पूछा जाता है- “तुम्हारी माँ ने तुम्हे कुछ नहीं सिखाया ?” मै पूछती हूँ इन ससुराल वालो को किसने अनुमति दी है किसी के माँ-बाप पर आवाज़ उठाने को? क्या बेटे को कभी किसी ने सीखाया है- “अपने ससुराल वालो का भी ध्यान रखा करो, घर के कामो में मदद किया करो …” नहीं सीखाया किसी ने l फिर बहु से भी ढ़ेरों उम्मीद नहीं रखना चाहिए l
- ससुराल ही है जहाँ बहु अगर बीमार भी हो, हर हफ्ते रिश्तोदारों का स्वागत भी करे इसके बावजूद दस बातें सुनने को ही मिलती हैl
- दिन भर अपनी बुराई सुनने के बाद अगर बहु चुप रहे तो, बोला जाता है बात ही नहीं करती अगर वही जबाब दे, तो सुनने को मिलता है – आजकल की बहुए की जवान बहुत चलती है l ये सब सिर्फ ससुराल में ही होता हैl
- जहाँ अच्छे काम करने में प्रशंशा तो नहीं मिलती बल्कि थोड़ा सा कुछ गलत होने पर बात आग की तरह रिश्तेदारों तक फैलती हैl
हमारे पाठको को जान के हैरानी होगी की ससुराल ऐसा भी होता है जहाँ-एक माँ, बहु से अपनी बेटी के ससुराल की बुराई करती है l बस यही है आजकल का ससुरालl l अफ़सोस की बात तो ये है की घर में होते अनबन की वजह कोई और नहीं बल्कि बेटे की खुद की माँ होती है जिसे लगता है की शादी के बाद उनका लाड़ला हाथ से निकल गया l मै तो कहती हूँ ऐसी माओं को अपने बेटे की शादी हीं नहीं करनी चाहिए, अपने पल्लू से बाँध कर ही रखना चाहिए l
मैं उन सभी ससुराल वालो का शुक्रगुजार करती हूँ जिन्होंने एक लड़की को बेटी जैसा रखा हैl जिन्होंने कभी भी ससुराल और मायका में कोई अंतर नहीं किया l आज हम बहुए भी किसी की नन्द हैं, कल किसी की सास बनेंगी लेकिन ये जो आज हो रहा उसे दोहराया कभी नहीं जायेगा l हर इंसान को अपने तरह से जिन्दगी जीने का पूरा अधिकार हैl